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चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अंतर (Chaitra Navratri and Sharad (Maha) Navratri: Differences).

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चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अंतर (Chaitra Navratri and Sharad (Maha) Navratri: Differences).
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चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का महत्व और अंतर (Chaitra Navratri and Sharad (Maha) Navratri: Significance & Differences). नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं – चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ।

इनमें से, चैत्र और आश्विन महीने में आने वाली नवरात्रि विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

वर्ष में चार नवरात्रियां मनाई जाती हैं – चैत्र (वसंत), आषाढ़ (गुप्त), आश्विन (शारदीय), और माघ (गुप्त)। इनमें से प्रत्येक नवरात्रि की अपनी विशेषताएं और महत्व हैं।

चैत्र नवरात्रि, जिसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है, हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह नवरात्रि देवी दुर्गा की शक्ति और विष्णु की भक्ति का मिश्रण है। इसका समापन रामनवमी के साथ होता है, जो भगवान राम के जन्म का प्रतीक है।

शारदीय नवरात्रि, जिसे महा नवरात्रि भी कहा जाता है, देवी दुर्गा की शक्ति और भक्ति का त्योहार है। इसका समापन दुर्गा महानवमी और विजयादशमी के साथ होता है, जो देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर पर विजय और भगवान राम द्वारा रावण पर विजय का प्रतीक है।

यह ब्लॉग चैत्र नवरात्रि और शारदीय (महा) नवरात्रि के बीच मुख्य अंतरों पर प्रकाश डालेगा, जो कि दो सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि हैं।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में अंतर (Chaitra Navratri and Sharad (Maha) Navratri: Differences).

हिंदू नववर्ष की शुरुआत:

  • चैत्र नवरात्रि से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है, जबकि शारदीय नवरात्रि वर्ष के मध्य का समय होता है।


क्षेत्रीय महत्व:

  • चैत्र नवरात्रि का महत्व खासकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलांगना और कर्नाटक में रहता है, जबकि शारदीय नवरात्रि की महत्व खासकर पश्चिम बंगाल और गुजरात में रहता है।

साधना और उत्सव:

  • चैत्र नवरात्रि के दिनों में साधना का खासा महत्व रहता है, जबकि शारदीय नवरात्रि के दिन दुर्गा पूजा और आराधना का खासा महत्व रहता है।

 

विष्णु और शक्ति की उपासना:

  • वासन्तिक (चैत्र) नवरात्र के अंत में रामनवमी आती है, अतएव इस नवरात्रि में शक्ति और विष्णु, दोनों की आराधना की जाती है।
  • शारदीय नवरात्र के अंत में दुर्गा महानवमी आती है, और दूसरे दिन विजयादशीम आती है। मान्यता है कि विजयादशी के दिन जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था वहीं श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसलिए इस नवरात्रि में विशुद्ध रूप से शक्ति की उपासना की जाती है।

 

सात्विक साधना और कठिन साधना:

  • शारदीय नवरात्रि में सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव मनाया जाता है, जबकि चैत्र नवरात्रि में कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व होता है।

 

इच्छाओं की पूर्ति:

  • शारदीय नवरात्रि को सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति हेतु मनाया जाता है, जबकि चैत्र नवरात्रि को आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि, मोक्ष हेतु मनाया जाता है।

ऋतु:

  • चैत्र नवरात्रि में वसंत का आगमन होता, जबकि शारदीय नवरात्र में जाड़ा का आरंभ होता।

निष्कर्ष:

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि, दोनों ही देवी दुर्गा को समर्पित महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। इनमें अनेक समानताएं होने के बावजूद, इनके महत्व, उत्सव, और साधना में कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं।चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का महत्व और अंतर (Chaitra Navratri and Sharad (Maha) Navratri: Significance & Differences).


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